होली दहन 2025: महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

होली दहन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे ‘छोटी होली’ या ‘होलिका दहन’ भी कहा जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। होली दहन 2025 इस बार विशेष रूप से शुभ योग में होने जा रहा है। इस लेख में हम होली दहन का महत्व, इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में जानेंगे।

होली दहन का महत्व
होली का त्योहार सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि सद्भाव, प्रेम और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन की परंपरा हमें यह सिखाती है कि अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित है।

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक असुर राजा अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान विष्णु में अटूट भक्ति से क्रोधित था। उसने अपनी बहन होलिका, जिसे आग में न जलने का वरदान था, को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठे। लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। तभी से होली दहन की परंपरा चली आ रही है, जिसमें होलिका की अग्नि में बुराइयों को जलाकर अच्छाई का स्वागत किया जाता है।

होलिका दहन 2025 के लिए निम्नलिखित तिथियां और शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

फाल्गुन पूर्णिमा तिथि: 13 मार्च 2025 को सुबह 10:35 बजे से प्रारंभ होकर 14 मार्च 2025 को दोपहर 12:23 बजे तक।

होलिका दहन शुभ मुहूर्त: 13 मार्च 2025 को रात 11:26 बजे से 12:48 बजे तक।

रंग वाली होली (धुलंडी): 14 मार्च 2025।

कृपया ध्यान दें कि होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त भद्रा काल समाप्त होने के बाद ही होता है, इसलिए उपरोक्त समय में ही होलिका दहन करना शुभ माना जाता है।

होलिका दहन हमेशा भद्रा काल समाप्त होने के बाद करना शुभ माना जाता है। इसलिए, शुभ मुहूर्त में ही इसका आयोजन करना चाहिए।

होली दहन पूजा विधि
सामग्री एकत्र करें: गोबर के उपले, लकड़ी, सूखी पत्तियां, रोली, चावल, गंगाजल, नारियल, हल्दी, गुलाल, गेंहू और मूंग की बालियां।
होलिका दहन स्थल की शुद्धि करें: गाय के गोबर और गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
लकड़ियों का ढेर बनाएं और उसमें सूखी लकड़ियां, उपले व घास रखें।
होलिका की पूजा करें: गोबर से बनी होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति रखें और उनकी रोली, अक्षत, फूलों से पूजा करें।
मंत्र उच्चारण करें: पूजा के दौरान “ॐ होलिकायै नमः” मंत्र का जाप करें।
होलिका दहन करें: अग्नि जलाकर परिक्रमा करें और गेहूं व मूंग की बालियां भूनकर प्रसाद रूप में ग्रहण करें।
होलिका दहन के लाभ
✅ नकारात्मकता और बुरी शक्तियों का नाश होता है।
✅ यह पर्व समाज में सद्भाव और प्रेम को बढ़ावा देता है।
✅ नई फसल की पहली बाली होलिका में चढ़ाने से संपन्नता और समृद्धि आती है।
✅ यह मौसम परिवर्तन का संकेत देता है और रोगों से बचाव करता है।

निष्कर्ष
होली दहन 2025 सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि सत्य और भक्ति की शक्ति से सभी संकटों को पार किया जा सकता है। इस होली, अपने जीवन की नकारात्मकता को त्यागें और प्रेम, सौहार्द और आनंद के रंगों को अपनाएं।

ग्रीन कैब्स की तरफ से आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं! 🎉🔥🌸

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