भारत में हिंदू धर्म के चार प्रमुख तीर्थस्थलों को मिलाकर जो यात्रा होती है, उसे चार धाम यात्रा कहा जाता है। यह यात्रा आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र मानी जाती है और इसे जीवन में एक बार करना मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में सवाल होता है कि चार धाम यात्रा की शुरुआत कहां से होती है और इसे किस स्थान पर समाप्त किया जाता है? आइए इस ब्लॉग में विस्तार से जानते हैं।
🔱 चार धाम कौन-कौन से हैं?
चार धाम यात्रा उत्तराखंड के चार प्रमुख मंदिरों की यात्रा है:
यमुनोत्री – यमुना नदी का उद्गम स्थल
गंगोत्री – गंगा नदी का उद्गम स्थल
केदारनाथ – भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग
बद्रीनाथ – भगवान विष्णु का धाम
🧭 यात्रा कहां से शुरू होती है?
चार धाम यात्रा हरिद्वार, ऋषिकेश या देहरादून से शुरू होती है। यह यात्रा एक निश्चित क्रम में की जाती है जो इस प्रकार है:
पहले यमुनोत्री – यह सबसे पश्चिम में स्थित है और यात्रा का पहला पड़ाव होता है।
फिर गंगोत्री – यहां से मां गंगा की यात्रा शुरू होती है।
फिर केदारनाथ – कठिन ट्रैकिंग वाला स्थल है, भगवान शिव को समर्पित है।
अंत में बद्रीनाथ – भगवान विष्णु का धाम और यात्रा का अंतिम पड़ाव होता है।
इस क्रम को पवित्र और पारंपरिक माना जाता है, इसलिए अधिकतर यात्री इसी क्रम में यात्रा करते हैं।
🏁 यात्रा कहां समाप्त होती है?
चार धाम यात्रा का अंतिम चरण बद्रीनाथ धाम पर समाप्त होता है। इसके बाद यात्री वापस जोशीमठ, ऋषिकेश या हरिद्वार लौटते हैं। कुछ यात्री आगे ऋषिकेश या वाराणसी जाकर गंगा स्नान करके यात्रा को पूर्णता देते हैं।
📅 चार धाम यात्रा कब शुरू होती है?
चार धाम यात्रा हर साल अक्षय तृतीया के दिन से शुरू होती है (अप्रैल-मई के आसपास) और दीवाली तक (अक्टूबर-नवंबर) चलती है। यह समय मौसम और रास्तों की स्थिति के अनुसार उपयुक्त होता है।
✨ निष्कर्ष
चार धाम यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि हिमालय की गोद में बसे इन तीर्थस्थलों की यात्रा एक रोमांचक अनुभव भी होता है।
यमुनोत्री से शुरू होकर बद्रीनाथ पर समाप्त होने वाली इस यात्रा को सही क्रम में और पूर्ण श्रद्धा के साथ करना ही इसकी सफलता और पुण्य का आधार है।